व - विकल्पानुसार कार्य होता है या नहीं?

लोग तो अपने मन के आश्वासन हेतु निरन्तर विकल्प करते रहते हैं और जब विकल्पानुसार वह कार्य नहीं होता है तो लोग दुःखी होने लग जाते हैं और कषाय करते हैं । परंतु वह यह नहीं समझते कि विश्व के छह द्रव्य अपने में ही पूर्ण हैं। वो सभी अपने द्रव्यत्व गुण के कारण निरन्तर स्वतः परिणमित होते रहते हैं। उन सभी के अंदर स्वतः परिणमन होने की ऐसी शक्ति है कि उनका जब भी परिणमन होना होगा तभी होता है। हम सभी अग्रहीत मिथ्यात्व में रहकर पर वस्तुओं में राग और द्वेष, इष्ट और अनिष्ट बुद्धि, ममत्व बुद्धि करते रहते हैं। इसलिए उन वस्तुओं को अपने अनुसार परिणमाना चाहते हैं। ये सब, विकल्पों को करने के परिणाम है। हमे यह समझना चाहिए कि जो वस्तु जब परिणमित होनी होती है तभी होती है इसलिए यदि हमारे विकल्पानुसार वस्तु का परिणमन नहीं हो रहा है तो उस समय कषाय तो नहीं करनी चाहिए।

सभी को इस बात को स्वीकारने के लिए और अधिक
चिंतन की आवश्यकता है।

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